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बिजली उत्पादन

जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

खेती करते हुए किसान खेती के साथ-साथ अलग-अलग तरह के व्यवसाय करते रहते हैं। ताकि उन्हें और ज्यादा आमदनी होती रहे और आर्थिक तौर पर वह मजबूत बने रहे। 

आपने खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन या फिर फूलों आदि की खेती के बारे में तो जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी खेती के साथ बिजली उत्पादन करते हुए किसानों को लाभ कमाते देखा है। 

आजकल के आधुनिक दौर में क्या कुछ मुमकिन नहीं है। इसी तरह से किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल सरकार की तरफ से की गई है। इसमें किसान खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए लाभ कमा सकते हैं। 

इस स्कीम के तहत सबसे अच्छी बात है, कि सरकार खुद किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रही है और अच्छी खासी मदद भी दे रही है। 

अब सौर ऊर्जा को प्रमोट करते हुए खेत में सोलर पंप से लेकर सोलर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। जिससे कृषि कार्यों के लिए खेतों से ही बिजली मिल जाए। साथ में, बिजली कंपनियों को भी बिजली को बेचकर अतिरिक्त आमदनी हो जाए। 

उत्तर प्रदेश में भी जल्द किसानों को ऐसी ही एक योजना का लाभ मिलने वाला है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 6 जिलों में प्राइवेट डेवलपर्स यानी किसानों के साथ बिजली को खरीदने के लिए एक समझौता किया है। 

इस एग्रीमेंट का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है और यह पीएम कुसुम योजना के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत 7 मेगावाट सोलर पावर जेनरेशन प्रोजेक्ट को गति देने के लिए किया गया है।

कैसे होगी किसानों की आमदनी

अगर किसानों की भूमि बंजर और अनुपयोगी है, तो उत्तर प्रदेश के किसान अपनी भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगवा सकते हैं। 

यह सोलर पावर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को तमाम तरह के बैंक और वित्तीय संस्थाएं पूरी तरह से मदद करेंगे। इसके अलावा इस योजना के तहत आप सरकार से सब्सिडी भी ले सकते हैं। ताकि आपको शुरुआती समय में ज्यादा खर्च ना करना पड़े।

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इतना ही नहीं, किसान अपने खेतों में लगे सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन लेकर ना सिर्फ कृषि कार्यों को बिना किसी खर्च में पूरा कर सकते हैं। बल्कि प्राइवेट बिजली कंपनियों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं। 

फिलहाल, सौर बिजली उत्पादन की सुविधा यूपी के बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया और लखनऊ में दी जाएगी।

कितना होगा बिजली उत्पादन

यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया है, कि बिजनौर के विलासपुर गांव में 1.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाया जाएगा। हाथरस के मौहारी गांव में 0.5 मेगावाट और देवगांव के गांव में 1 मेगावाट की सुविधा दी जाएगी।

महोबा और जालौन के खुकसिस गांव में 1 मेगावाट और बरियार गांव में 1 मेगावाट की सुविधा वाला सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाने का प्लान है। यहां पर किसानों को दो तरह के विकल्प दिए गए हैं। 

पहला या तो वह डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप को सोलर एनर्जी सिंचाई पंप में अपग्रेड करवा सकते हैं या फिर अपने खेत में सोलर प्लांट लगवाने की व्यवस्था कर सकते हैं। 

कमाई की बात की जाए, तो इस तरह से लगे हुए सोलर पावर प्लांट से किसान सालाना लगभग 80,000 रुपये तक कमा सकते हैं। 

इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को सोलर पंप की लागत पर 90 फीसदी सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

क्या है पीएम कुसुम योजना

पीएम कुसुम योजना के तहत 1 मेगावाट का सोलर प्लांट लगवाने के लिए लगभग 5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। वहीं पर अगर आप 0.2 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं, तो यह केवल 1 एकड़ जमीन में भी किया जा सकता है। 

इस योजना के तहत किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह है, कि उन्हें स्वयं भी किसी तरह की बिजली से जुड़ी हुई समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। 

साथ ही, वह बनने वाली एक्स्ट्रा बिजली को बेचकर ज्यादा आमदनी भी कमा सकते हैं। जिससे उनके आर्थिक हालात सुधारने में बेहद मदद मिलेगी।

नंदी रथ के जरिए किसान कर रहे हैं हर महीने कमाई, जाने क्या है तरीका

नंदी रथ के जरिए किसान कर रहे हैं हर महीने कमाई, जाने क्या है तरीका

आजकल भारत में गौवंश को बचाने की बहुत बड़ी पहल चल रही है। देशी गौवंश के संरक्षण के बारे में बढ़-चढ़कर बात की जा रही है और साथ ही गौवंश ऊपर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज किसानों के लिए निराश्रित गौवंश बड़ी समस्या बनती जा रही है। लेकिन देसी गौवंश में सबसे बड़ी बाधा दूध ना देने वाले पशु यानी बछड़े और बैल ही बनते हैं, जिनकी कुछ ज्यादा वैल्यू नहीं है। यही वजह है, कि आप को सड़कों पर हर जगह यह बैल घूमते हुए नजर आते रहते हैं और इनकी हालत बेहद खराब होती है। लेकिन आज हम आपको यह बताना चाहते हैं, कि इन निराश्रित पशुओं की अहमियत को समझें और इन्हें बोझ की तरह नहीं बल्कि कमाई का साधन बना कर अच्छी तरह से इनका ध्यान रखें। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यह नर पशु आपको स्वयं अपना सारा भी कमा कर देंगे और इसके अलावा आपके घर में आमदनी के साधन भी बन सकते हैं।

क्या है नंदी रथ?

आपको यह बात हैरान कर देगी। लेकिन आजकल बैलों के माध्यम से देश के कई इलाकों में बिजली बनाई जा रही है। यह बिजली उन्हें निराश्रित बैलों के माध्यम से बनाई जा रही है, जिन्हें आप सड़कों पर आवारा घूमते हुए देख सकते हैं। आवारा पशु एक तरह से गौशाला के ऊपर बोझ ही होते हैं, जिनकी देखभाल और खान-पान आदि पर सरकार का खर्च बढ़ जाता है। यदि सरकार इन्हीं गौवंशों को बिजली बनाने के काम पर लगा दे, तो इन गौवंशों की वैल्यू बढ़ेगी और कमाई भी होगी।
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लखनऊ से कुछ ही किलोमीटर दूर पर गोसाईगंज के सिद्धुपुरवा गांव में भी एक ऐसे ही मॉडल पर काम चल रहा है। यहां पर एक गौशाला बैलों को ट्रेडमिल पर चलाती है, जिससे बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। अगरसूत्रों की मानें तो गौशाला ने यह कांसेप्ट नंदी रथ से लिया है। इसलिए इसका नाम नंदी रथ योजना रखा गया है। इस नंदी रथकर पर बैलों को चढ़ा दिया जाता है, साथ में चारे का इंतजाम भी होता है। ये बैल चारा खाते हैं और ट्रेडमील पर चलते हैं। बदले में ट्रेडमील को गियर बॉक्स से जोड़ा गया है, जो 1500 आरपीएम पावर को कन्वर्ट कर रहा है।

बढ़िया हो रहा है बिजली उत्पादन

रिपोर्ट की मानें तो गौशाला के मालिक पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने खुद यह बात बताई है, कि 1500 आरपीएम पर ही बिजली निर्माण होता है। अभी तक पूरी दुनिया में 500 से 700 आरपीएम ही लिया गया है। लेकिन इस गैशाला में लगे गियरबॉक्स (gearbox) ने अधिक बिजली मात्रा में बिजली लेने का रिकॉर्ड बना दिया है। इस मॉडल को बाकायदा पेटेंट करवाया गया है। इस मॉडल से बनाई गई बिजली से किसान ना सिर्फ अपनी कृषि से जुड़ी हुई जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। बल्कि उनके घर के तमाम उपकरण भी इसी बिजली से चलाए जा रहे हैं। मीडिया से हुई बातचीत में शैलेंद्र सिंह ने बताया कि सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली के लिए भी हमें ₹3 प्रति यूनिट देना पड़ता है। जबकि नंदी रथ योजना के तहत बन रही बिजली मात्र 1.5 रुपये में ही मिल सकती है।

किसानों की कितनी कमाई हो जाएगी

आंकड़ों की मानें तो नंदी रथ के जरिए बैलों से बनाई गई बिजली के आधार पर किसान हर महीने 4000 से ₹5000 की आमदनी सीधे तौर पर कमा सकते हैं। यह कमाई तो सिर्फ बिजली से होगी। इसके अलावा, बैलों से मिलने वाले गोबर से आप वर्मी कंपोस्ट, जैविक खाद आदि बनाकर भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इन दिनों पर्यावरण सरंक्षण में जैविक खेती और ग्रीन एनर्जी (green energy) का चलन बढ़ता जा रहा है। माना जा रहा है, कि यह कांसेप्ट भी आगे चलकर सौर ऊर्जा की तरह ग्रीन एनर्जी का एक बहुत ही खूबसूरत उदाहरण बन सकता है। यहां पर एक और अच्छी बात यह है. कि बहनों से बन रही बिजली के उत्पादन में पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। जबकि सोलर उत्पादन में भी लगभग 25 साल बाद डिस्पोजल की समस्या को गंभीर होने का खतरा माना गया है।